आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "masnavi khwab o khayal meer asar ebooks"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "masnavi khwab o khayal meer asar ebooks"
ग़ज़ल
मुहम्मद राशिद अतहर
ग़ज़ल
कभी यूँ भी आ मिरी आँख में कि मिरी नज़र को ख़बर न हो
मुझे एक रात नवाज़ दे मगर इस के बा'द सहर न हो
बशीर बद्र
ग़ज़ल
जो ख़याल थे न क़यास थे वही लोग मुझ से बिछड़ गए
जो मोहब्बतों की असास थे वही लोग मुझ से बिछड़ गए
ऐतबार साजिद
ग़ज़ल
मुझे रंग दे न सुरूर दे मिरे दिल में ख़ुद को उतार दे
मिरे लफ़्ज़ सारे महक उठें मुझे ऐसी कोई बहार दे
इन्दिरा वर्मा
ग़ज़ल
सब कहाँ कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं
ख़ाक में क्या सूरतें होंगी कि पिन्हाँ हो गईं
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
इश्क़ हमारे ख़याल पड़ा है ख़्वाब गई आराम गया
जी का जाना ठहर रहा है सुब्ह गया या शाम गया
मीर तक़ी मीर
ग़ज़ल
कोई ख़्वाब था जो बिखर गया कोई दर्द था जो ठहर गया
मगर इस का कोई भी ग़म नहीं जो गुज़र गया सो गुज़र गया